Harender Kumar Singh chianki Historygooglemaster NATASHA RIMANOFF एवेंजर बायोग्राफी जीवनी हिन्दी मे। हेलो फ्रेंड्स Historygooglemaster blog में आपका स्वागत है Blog को सब्सक्राइब कर लिए हैं तो बहुत बहुत धन्यवाद और यदि आप blog पर नए हैं तो email से सब्सक्राइब कर ले ताकि जब भी अवेंजर man के बायोग्राफी आये नोटिफिकेशन चला जाए दोस्तों आज हम बताने जा रहे हैं हॉलीवुड मूवी के जाने-माने हीरोइन नताशा रोमनाफ जिन्हें ब्लैक विंडो के नाम से जाना जाता है जो कि बहुत ही कम समय में बड़ा नाम और शोहरत हासिल की है वो भी अपनी खूबसूरती बिखेर के शताशा रोमनॉफ़ S.H.I.E.L.D के सर्वश्रेष्ठ और सबसे भरोसेमंद एजेंटों में से एक है। वह भेस की एक मास्टर है और कुछ मिनटों में दस या अधिक पुरुषों को मार गिराने की क्षमता रखती है। वह बेहद फुर्तीली, तेज, मजबूत और घातक है। वह हॉकी उर्फ क्लिंट बार्टन के साथ एक S.H.I.E.LD पार्टनर है। ********************************* Relation & barth and place नताशा रोमनॉफ़ का जन्म 22 नवंबर 1995 को वोल्गोग्राद, रूस में हुआ। उनके पित...
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Sarojini Naidu – सरोजिनी नायडु पहली भारतीय महिला कॉग्रेस अध्यक्ष और ‘भारत की कोकिला’ इस विशेष नाम से पहचानी जाती हैl
पूरा नाम – सरोजिनी गोविंद नायडु
जन्म – १३ फरवरी १८७९
जन्मस्थान – हैद्राबाद
पिता – डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय
माता – वरद सुंदरी
शिक्षा – १८९१ में 12 साल के उम्र में वो मद्रास के इलाखे में मँट्रिक के परीक्षा में पहले नंबर ने उत्तीर्ण हुयी। आगे की पढाई के लिये। इग्लंड के केब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया पर उपाधि लिये बगेर भारत लौट आये।
विवाह – डॉ. गोविंद राजुलू नायडु इनके साथ आंतर जातीय विवाह किया। (१८९८ में)
जन्म – १३ फरवरी १८७९
जन्मस्थान – हैद्राबाद
पिता – डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय
माता – वरद सुंदरी
शिक्षा – १८९१ में 12 साल के उम्र में वो मद्रास के इलाखे में मँट्रिक के परीक्षा में पहले नंबर ने उत्तीर्ण हुयी। आगे की पढाई के लिये। इग्लंड के केब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया पर उपाधि लिये बगेर भारत लौट आये।
विवाह – डॉ. गोविंद राजुलू नायडु इनके साथ आंतर जातीय विवाह किया। (१८९८ में)
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फेब्रुअरी 1879 में हैदराबाद में अघोरे नाथ चट्टोपाध्याय और बरदा सुंदरी देवी को हुआ। उनका पैतृक गाव ब्रह्मंगांव, बिक्रमपुर (अभी का बांग्लादेश) था। उनके पिता, अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय, एडिनबर्घ विश्वविद्यालय से विज्ञानं के डॉक्टरेट थे, जो बाद में हैदराबाद में स्थापित हुए, जहा वे हैदराबाद महाविद्यालय में शामिल हुए, जो बाद में हैदराबाद का निज़ाम महाविद्यालय बना।
उनकी माता बरदा सुंदरी देवी एक बंगाली कवियित्री थी। वो उनके आठ सगे भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। उनका भाई वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय एक क्रांतिकारी था और दूसरा भाई, हरीन्द्रनाथ एक कवी, एक कलाकार और अभिनेता था।
नायडू ने अपनी 10वी की परीक्षा मद्रास विश्वविद्यालय से पास की, लेकिन बाद में उन्होंने पढाई से 4 साल का ब्रेक लिया। 1895 में, “निज़ाम शिष्यवृत्ति संस्था” जो 6ठे निज़ाम- मीर महबूब अली खान ने स्थापित की, ने नायडू को इंग्लैंड के पहले किंग्स कॉलेज में पढने का मौका दिया और बाद में गीर्तोंन कॉलेज, कैम्ब्रिज में पढने का मौका दिया।
19 साल की आयु में, पढाई खत्म करने के बाद वे डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू से मिली, जिनसे उनकी शादी कर दी गयी। उस समय इंटर-कास्ट शादी करने की अनुमति नही होती थी, लेकिन उनके पिता ने उनकी शादी के लिए हां कर दी थी।
सरोजिनी नायडू (जन्म नाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय) “भारत की बुलबुल” के नाम से भी जानी जाती है, वे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और एक कवियित्री थी। उन्होंने 1947 से 1949 तक संयुक्त राज्य आगरा और ओउध की राज्यपाल के रूप में सेवा की, वो भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी। साथ ही वो 1925 में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की दूसरी महिला अध्यक्ष बनी साथ ही ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला भी बनी।
एक नजर में सरोजिनी नायडू जी की Information
1) १३ साल की उम्र में सरोजिनी इन्होंने १२०० पंक्तियों का ‘ए लेडी ऑफ लेक’ नाम का खंडकाव्य लिखा।
2) १९१८ में उन्होंने मद्रास प्रांतीय संमेलन का अध्यक्ष पद भुशवाया।
3) १९१९ में आखिल भारतीय होमरूल लोग के प्रतिनिधि मंडल में के सदस्य इस हक़ से वो इग्लंड का दौरा कर के आया।
4) १९३० में महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरु किया। गुजरात के धारासना यहाँ का ‘नमक सत्याग्रह’, का नेतृत्व सरोजिनी नायडु इन्होंने बड़े धैर्य के साथ किया।
5) १९४२ के ‘चले जाव’ आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और जेल गयी।
6) १९४७ में उन्होंने दिल्ली में हुयें आशियायी परिषद् का अध्यक्ष स्थान भुशवाया।
7) १९४७ में स्वतंत्र भारत में के उत्तर प्रदेश के पहली राज्यपाल के रूप में उन्हें चुना गया।
ग्रंथ संपत्ति – Books:
- द गोल्डन थ्रेशोल्ड
- द बर्ड ऑफ टाइम
पुरस्कार: १९०८ में भारत सरकार की तरफ से कैसर-ए-हिंद ये पुरस्कार मिला।
विशेषता :
- भारतीय जनता नायडु इन्हें ‘भारत की कोकिला’ इस विशेष नाम से पहचानती है, क्योंकि इन्होंने एक राष्ट्रिय नेता के रूप में भाग लेने के साथ-साथ काव्य के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- पहली भारतीय महिला कॉग्रेस अध्यक्ष होने का सम्मान उन्होंने मिलाया।
- पहली भारतीय महिला राज्यपाल (उत्तर प्रदेश) होने का सम्मान उन्होंने मिलाया।
मृत्यु ु: 2 मार्च १९४९ को उनकी मौत हुयी।
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